( तर्ज - लिजो लिजो खबरीया ० )
दुनिया झुकती है ,
कोई झुकावे उसे ।
रंग में रंगती है ,
कोई रँगावे उसे ॥ टेक ॥
खुद करो अमल तो
दुजाभी अमल करे ।
खुद मसे जीते - जी ,
दुजाभी वही करे ।
सोखो खुदभी यह
और सिखाओ उसे ॥१ ॥
सच तुम्हारा दिल करो ,
दुनियाभी सच बने ।
गर पाय तुममें हो तो ,
सभी पाप दे तुम्हें ।
पहिले तुमहि बनो तो ,
बनाओ उसे ॥२ ॥
तुम बनो साधू तो ,
साधूभी जगत् बने ।
क्या तुम्हें करना है ,
वह न तुमही क्यों बने ? ।
तुकड्या कहता है ,
कोई न छकावे उसे ॥३ ॥
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